नई दिल्ली: जेएनयू हिंसा केस में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को अहम सुराग हाथ लगे हैं. सर्वर को तोड़ दिए जाने की वजह से सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस के पास तो नहीं है. हालांकि, नकाबपोशों की जांच करने के लिए क्राइम ब्रांच अब दुसरे हथकंडे अपना रही है. इसी कड़ी में क्राइम ब्रांच की एक टीम दोबारा से बुधवार को जांच के लिए जेएनयू कैंपस पहुंची थी. जांच टीम ने पेरियार होस्टल और साबरमती होस्टल के स्टूडेंट्स से बात की. करीब 150 से ज्यादा स्टूडेंट्स, वार्डन और जेएनयू होस्टल स्टाफ के बयान दर्ज किए गए. 
अभी तक जितने वीडियो वायरल हुए, उनके फ्रेम टू फ्रेम पिक्चर निकाली गई और वहां स्टूडेंट्स को दिखाकर कुछ नकाबपोश उपद्रवियों की पहचान उनके हुलिए से की गई. जेएनयू कैम्पस में हिंसा के समय एक्टिव करीब 800 से ज्यादा मोबाइल फोन का डंप डेटा लिया गया है. उनकी जांच की जा रही है, यानी टेक्निकल सर्विलेंस के जरिये नकाबपोशों तक पुलिस पहुंचने की तैयारी कर रही है. साथ ही जिनकी पहचान हुई है, उनकी मोबाइल लोकेशन्स की डिटेल भी निकाली गई है ताकि आने वाले वक्त में उनकी मौजूदगी हिंसा के दौरान कैंपस में साबित की जा सके. 
पुलिस के मुताबिक, 5 जनवरी को जिस दिन हिंसा हुई उस मामले में अभी तक पुलिस स्टेशन वसंत कुंज नार्थ में 11 शिकायतें मिली हैं, जो अलग स्टूडेंट्स ने की हैं, जिनमे 3 शिकायतें एबीवीपी, 7 वामपंथी छात्रों और एक प्रोफ़ेसर सुचित्रा सेन ने की है. ये सभी शिकायतें क्राइम ब्रांच को दे दी गई हैं. हिंसा के दौरान करीब 130 से ज्यादा SOS कॉल की गई जिनका डिटेल भी क्राइम ब्रांच ने आज इकट्ठा किया है. ये वो सभी छात्र-छात्राएं हैं जो हिंसा के चश्मदीद हैं. इनसे भी आरोपियों की पहचान में मदद मिलेगी. क्राइम ब्रांच ने कल ही पब्लिक नोटिस जारी करके जेएनयू हिंसा के बारे में जानकारी देने की अपील की थी

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