अमित, अहमदाबाद: JNU हिंसा के मुद्दे पर यहां के पालड़ी इलाके में छात्र संगठन ABVP कार्यालय के पास NSUI ने विरोध-प्रदर्शन किया. डंडों के साथ प्रदर्शन करने सड़क पर उतरे कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया. उसके बाद दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए. दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के बीच लाठी-डंडे चले और पत्थरबाजी हुई. एबीवीपी ने NSUI पर तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया.  ABVP कार्यालय पर भारी पुलिस बंदोबस्‍त किया गया.


इस बीच जवाहलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में 5 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में छात्र संघ अध्‍यक्ष (JNUSU) आइशी घोष (Aishe Ghosh) और अन्‍य 18 लोगों के खिलाफ दिल्‍ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर के मुताबिक जेएनयू के चीफ सिक्‍योरिटी ऑफिसर ने पुलिस को शिकायत दी है. जेनयू अध्यक्ष आइशी घोष और उसके अन्य 18 साथियों ने 4 जनवरी को दोपहर करीब 1 बजे महिला गार्ड के साथ धक्का-मुक्की और अन्य गार्ड के साथ मार पिटाई और गालीगलौच किया. ये जबरन CIS रूम में घुसना चाह रहे थे. जिसका विरोध सिक्‍योरिटी गार्ड ने किया. बाद में ये लोग पीछे का शीशा तोड़कर सर्वर रूम में घुस गए. इन्होंने ऑप्टिक फाइबर केबल तोड़ दी और बायोमेट्रिक मशीन को तोड़ दिया.
एफआईआर में आईसी घोष, साकेत मून, सतीश यादव, सारिका चौधरी, जी सुरेश, कृष जयसवाल, विवेक कुमार, गौतम शर्मा, वासकर वी, अपेक्षा प्रियदर्शी, श्रेया घोष, श्वेता कश्यप , संभावित सिद्धि, विवेक कुमार पांडे, राजू सिंह, मानस कुमार, चुन चुन यादव कामरान, डोलन और गीता कुमारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 341, 506, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में पांच जनवरी को एफआईआर दर्ज हुई है.
उधर आज दिल्‍ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम जेएनयू पहुंची. दिल्‍ली पुलिस हमला करने वाले नकाबपोश गुंडों को पहचानने के लिए चेहरा पहचान टेक्‍नीक (Face Recognition Technique) का इस्‍तेमाल कर रही है. दिल्‍ली पुलिस ने कहा है कि पांच जनवरी की हिंसा के बाद अब शांति है. इसके साथ ही तीसरी एफआईआर वसंत कुंज थाने में दर्ज की गई है. ये तीन जनवरी का मामला है जब सर्वर रूम में लोग जबरन घुस गए थे. वहां का स्विच ऑफ किया. धक्का-मुक्की की. पांच जनवरी को एफआईआर दर्ज हुई है. इसमें भी आईसी घोष का नाम है. इस बीच जेएनयू रजिस्‍ट्रार ने कहा है कि कुछ छात्र रजिस्‍ट्रेशन रोकने की कोशिश कर रहे हैं. उल्‍लेखनीय है कि जेएनयू प्रशासन ने रजिस्‍ट्रेशन की तारीख 12 जनवरी तक बढ़ा दी है.
कोड वर्ड के जरिये हिंसा की साजिश
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हुई हिंसा के बाद अब एक के बाद एक मामले की परतें खुल रही हैं. सूत्रों के मुताबिक जेएनयू में एबीवीपी और लेफ्ट विंग के छात्रों के बीच पिछले 2-3 दिनों से तनाव चल रहा था. लेकिन जब लेफ्ट विंग के छात्रों ने रजिस्ट्रेशन के सर्वर को डैमेज किया तो तनाव और ज्यादा बढ़ गया. उसके बाद छात्रों के बीच झगड़ा हुआ. पेरियार होस्टल पर कल करीब 4 बजे के बाद मामला बढ़ता चला गया. अंदर करीब 10 पुलिसकर्मी सादा वर्दी में थे. उनके साथ भी हाथापाई हुई. इसकी पीसीआर कॉल भी हुई थी.
सूत्रों के मुताबिक उसके बाद कुछ वॉट्स एप ग्रुप बनाये गए और बदला लेने की प्लॉनिंग हुई. फिर बाहर से नकाबपोश लोग आए. उनको कोड वर्ड दिया गया जिसके जरिये हमलवार अपने लोगों की पहचान कर पाएं और उन्हें न पीटें. करीब 6 बजे लाठी डंडों से लैस नकाबपोश भीड़ ने हमला कर दिया उस समय अंधेरा था इसलिए कौन 'राइट' और कौन 'लेफ्ट' वाला है उसकी पहचान करना मुश्किल था. इसलिए कोड वर्ड के जरिये हमलावरों ने किसे मारना है, किसे नहीं मारना है उसे पहचाना. 7 बजे के आसपास वीसी की परमीशन लेकर पुलिस अंदर गई. लेकिन तब तक हमलवार भाग गए थे. हमलावरों में कुछ जेनएयू के छात्र भी शामिल बताए जाते हैं. ज्यादातर बाहरी हैं. जहां हिंसा हुई वहां कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं. कुछ हमलावरों की पहचान हो गई है.

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